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Vikram Kumar

Thriller

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Vikram Kumar

Thriller

हे भारत मां

हे भारत मां

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हे भारत मां मेरा जीवन कुछ ऐसे तेरे काम आए

तू शहीद होने को पुकारे तो सबसे पहले मेरा नाम आए।


सुनकर के तेरी एक पुकार बलिदान मैं खुद को कर जाऊं

जो देश को खंडित करते हैं शर्मिंदा उनको कर जाऊं।


तेरी माटी में जन्मा हूं तेरी माटी का कर्ज रहेगा

ऐ मां तेरी रक्षा करना मेरा हरदम फर्ज रहेगा।


आज कसम खाता हूं तुझपे आंच नहीं आने दूंगा

तेरे दामन तक दुश्मन का हाथ नहीं आने दूंगा।


हाथ अगर कोई बढ़े तो उसको मुझसे लड़ना होगा

बुजदिल नहीं जो यह कह दूं मेरी लाश से गुजरना होगा।


शेर हूं मैं तेरा माता मैं पूरा संघर्ष करुंगा

तेरे दुश्मन को बिन मारे माता मैं नहीं मरूंगा।


मां आज कसम यह खाता हूं दुश्मनों को मिटा दूंगा

तुझसे ही जीवन पाया है और तुझ पर ही लुटा दूंगा।



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