है ज़िन्दगी एक सहरा...
है ज़िन्दगी एक सहरा...
माना कि मेरा ज़ख़्म बहुत गहरा है |
पर ऑंसुओं पे मेरा कड़ा पहरा है |
ये हादसों का शहर है, मेरे दोस्त,
किस की ख़ातिर कौन यहां ठहरा है |
मैं सुनाता रहा जिसे दर्दे-दिल अपना,
क्या पता था कि वो पैदाइशी बहरा है |
ख़ुशियों को फ़ुर्सत कहाँ थी रुकने की,
हुजूमे-ग़म मेरे पास आके ठहरा है |
जी रहा हूँ फ़क़त तेरी याद के सहारे,
वरना ये ज़िन्दगी 'गुलाब' इक सहरा है |
सहरा = रेगिस्तान
हुजूम = भीड़
फ़क़त = केवल
