है शक्ति की संरचना तू
है शक्ति की संरचना तू
तटस्थ तू, नारी तू
अभ्यस्त परीक्षार्थी तू,
कंठस्थ है दमन में तू,
है शक्ति की संरचना तू ।
कभी कल्पना की शिरोधारी तू,
कभी अटल निश्चय की द्रष्टा तू ।
कभी दिव्यता का समागम तू,
है शक्ति की संरचना तू ।
इस आभासी दुनिया की रचयिता तू,
सर्वस्व ज्ञान का समूचा यथार्थ तू,
समस्त ब्रह्मांड की चाल तू,
है शक्ति की संरचना तू ।
कवयित्री के वीर रस की अभिव्यक्ति तू,
है उसके शब्दों के हृदय पटल में तू,
उसके शांत चित्त का विवरण तू,
उसके वीभत्स हुँकार में भी तू ।
उस योगिनी का परिचय तू,
है दीर्घकालीन से उसकी तपस्या तू,
न वो रंग पूजती, न वो ढंग पूजती,
केवल कलम को है पूजती,
उसके हर शब्द भेद की अधिकारी है तू,
तटस्थ तू, नारी तू,
अभ्यस्त परीक्षार्थी तू,
कंठस्थ है दमन में तू,
है शक्ति की संरचना तू ।