हाशिए में -
हाशिए में -
तुम कहाँ हो?
कभी सोचा है तुमने?
‘हाशिए’ में ही पड़े रहना
तुम्हारी नियति है शायद
घर रुपी पुस्तक के पृष्ठों में
तुम्हारा अस्तित्व कहाँ है?
हाशिए के अंदर या बाहर?
या फुटनोट की भांति
डाल दिया गया है तुम्हें भी
‘फुटलाइन’ के नीचे
जब किसी सन्दर्भ की ज़रूरत हो
तो काम आ सको पुरूष के
उठो करो हिम्मत
बन जाओ अब
आवरण पृष्ठ अपनी
ज़िंदगी का...
