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Manju Mahima

Others Tragedy

5.0  

Manju Mahima

Others Tragedy

टूटी चप्पल

टूटी चप्पल

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मैं तुम्हारे साथ,

कदम से कदम मिला कर

नहीं चल पा रही, क्योंकि

वक्त ने मेरी चप्पल तोड़ दी है

और

इन टूटी चप्पलों को घसीटते हुए

मैं कैसे ,

तुम्हारे साथ कदम से कदम मिला सकती हूँ?

परंतु मैं निराश नहीं,

जैसे ही मुझे मौका मिलेगा ,

मैं अपनी चप्पल ठीक करवा लूंगी,

और

तेज़ कदमों से निकल जाऊँगी आगे,

पर क्या तुम ,

बर्दाश्त कर पाओगे इसे?

मुझे घसीटने का सुख

जो अभी तुम्हें मिल रहा है

वह फिर बदल जाएगा

स्पर्धा में,

नहीं रह जाऊँगी मैं फिर

तुम्हारी सहानुभूति की पात्र,

क्या झेल पाओगे तुम यह आघात?

छोड़ कर अपना अहं करवाने दोगे

मुझे क्या अपनी चप्पल ठीक ?


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