सारा जीवन ही है एक स्पर्धा कभी स्वयं की स्वयं से हार है कभी स्वयं को ही है स्वयं से जीतना सारा जीवन ही है एक स्पर्धा कभी स्वयं की स्वयं से हार है कभी स्वयं को ही है...
तेज़ कदमों से निकल जाऊँगी आगे, पर क्या तुम , बर्दाश्त कर पाओगे इसे? मुझे घसीटने का सुख जो अभी तुम... तेज़ कदमों से निकल जाऊँगी आगे, पर क्या तुम , बर्दाश्त कर पाओगे इसे? मुझे घसीटन...
आस्था ये कैसी.. बस उसे ही नृप घोषित किए जाता हूँ आस्था ये कैसी.. बस उसे ही नृप घोषित किए जाता हूँ
है जीवन यही बस धर उर में प्रेम-स्पर्धा-धीर को। है जीवन यही बस धर उर में प्रेम-स्पर्धा-धीर को।
निखा-यावरची ही स्पर्धा जिंकण्यासाठी निखा-यावरची ही स्पर्धा जिंकण्यासाठी
रिश्तों की जिम्मेदारियों को निभाते पता ना चला कब दूर हो रहे हैं हम। रिश्तों की जिम्मेदारियों को निभाते पता ना चला कब दूर हो रहे हैं हम।