हाँ मुझे मोहब्बत है
हाँ मुझे मोहब्बत है
किताबों में तेरे दिये हुए फूलों को बार बार छिपाना और सूंघना,
वो चाँद से तुम्हारे चेहरे का दीदार कर नजर ए उर्फ सलाम लिखना।
कागज पर बार बार उनका नाम लिखकर मंद मंद मुस्काना,
मुहब्बत के पयाम लिख ऑखों में बस अपने प्यार के सपने देखना।
रातों में उनके शहर की गलियाँ में घूमनाऔर नींद का ना आना,
उनके ही चेहरे के दीदार की आस में सुबह से शाम बैचैन रहना।
बहकी बहकी सी बातें कर चुपके चुपके से नजरें चुराकर मिलाना,
सारा जहाँन, मौसम में रोमांच और धड़कनो का एकदम बढ़ना।
कैसे कहूँ की मुहब्बत में उनके दिल में क्या क्या हो रहा है,
आगाज़ ए मुहब्बत के अंजाम में मन का उनके ही ख्यालों में बहकना।
अब आये हो खयालो में तो जल्दी जाने की बात ना करना,
बस जाना मेरी सांसों में तुम तन्हा कर मुझे तुम रूसवा ना करना।
मुहब्बत में अब हमारा दिल भी गुनाह कर बैठा अनजाने में,
इकरार किया बहुत चाहते हैं तुम को, अच्छा लगा हाथ पकड़ कर यूं चूमना।