हाले दिल
हाले दिल
हाले दिल अपना सुनाऊं कैसे?
तुम्हें मैं कुछ भी बतलाऊं कैसे?
जीवन के सफर में बहुत दूर निकल आए हम तुम,
अब इन व्यस्तताओं के दौर में मैं पीछे जाऊं कैसे?
यूं तो अनकहा बहुत कुछ रह गया है जीवन में मेरे।
बदल गए समय के साथ सपने भी मेरे,
पर मन आज भी कहता है खतावार तुम्हें,
पर यह बात तुम्हें बताऊं कैसे?
हाले दिल तुमको अब सुनाओ कैसे?
बहुत कुछ होगा जो तुमने भी कहना होगा,
पर मालूम है मन क्यों आवाज को भी मुझे ना सुना होगा।
अब जब हो गए डर तो पास बुलाऊं कैसे?
हाले दिल तुमको अपना सुनाऊं कैसे?
मुद्दतें बीत गई अब कैसे गिले शिकवे?
जन्मों की-------- जन्म में सुनाऊं कैसे।

