हालातों में
हालातों में
हालातों से मजबूर नहीं ,
वो अपनी हाय लिए बैठे हैं
अपनी ही लत से ,
वो जनाब गलत बन बैठे हैं ।
अपने आप पर नहीं भरोसा
दूसरों का दामन थामें हैं
अपने ही अपने समझ कर
मन का दमन किये बैठे हैं ।
पहली पहेली हल ना की
फिर भी आस लिए बैठे हैं
माहिर हैं जो सिर्फ बयां करे दया
वो उनका हाथ थामें बैठे हैं ।
जाहिर है जो सिर्फ धोखा देंगे
वो उनका कहना मान बैठे हैं ।
एहसानों तले कुछ भान ना हुआ
एहसासों को अपने प्रकट ना होने दिया ।
चुप चुप रहकर चुप रहने को चुन लिया
गुम सुम होकर नम आंखों को छूपा लिया ।
नम आंखों से मन भीगता रहा
फिर भी मन मस्त वो गाता रहा ।
एक आह में वाह ना निकली
मन की बात मन से ना निकली ।
हालातों में चाहें रातें रोकर गुजरी
हालातों में राहें खोकर बिछड़ी।
हालातों में चाहें लातें दो चार मिली
हालातों में ऐसे हूआ कि आहें तक ना निकली।
हालातों से चाहें हो परेशान
पर हालात चाहें क्यों आसान
कठिन हालातों में रहकर
जीवन कुछ झंझावातों से गुजरकर
दर्द सहन करना सिखाता रहता है
कुछ हीन भावनाओं में जीवन क्या खोना
कुछ तो छिपा है,शेष है सिर्फ उसे खोजना
कुछ रोना और कुछ हंसना होता ही रहता है
हालातों के कठिन सफर में मन अकेला होता है
हालातों के पार जब कोई निकलता है
जीवन उसी का महान बनता है ।