हाल - ए - दिल
हाल - ए - दिल
ना पूछो मेरा हाल कैसा है।
जैसे आसमान से कटी पतंग हो कोई,
जैसे रूह के बिना, जिस्म हो कोई !
ना पूछो ये हाल - ए - दिल मेरा....
दिल -ए - संगमरमर मे ए दिलबर,
एक रूहानियत सा ख्वाब सजा रखा है,
तन्हा दिल मे तेरी याद को सजा रखा है !

