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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

Tragedy

4  

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

Tragedy

हादसा

हादसा

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कोई घर से निकला था 

तो कोई घर को निकला था 

एक खुशी थी 

मंजिल पर पहुंचने की ...


कोई सो रहा था 

तो कोई जाग रहा था 

सुख -दु:ख की बातों में 

ये सफर मंजिल की ओर बढ़ रहा था 

पर किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था 

कि ये सफर उनका आखिरी सफर होगा 

वे जिस मंजिल को पाने के लिए यात्रा कर रहे हैं 

वो यात्रा कभी पूरी न होगी...।


एक जोरदार आवाज के साथ सब कुछ खत्म

पटरियों पर बिखरी पड़ी जिंदगी 

पूरी तरह से तहस-नहस 

सब कुछ अ

स्त-व्यस्त,

सब कुछ लावारिस... 

एक हादसे ने,

दर्दनाक हादसे ने

रूह कंपाने वाला मंजर पैदा कर दिया 

चहुंओर चीख-पुकार 

दर्द भरी सिसकारियां...

क्षणभर पहले जो चेहरे हंस रहे थे 

मुस्कुरा रहे थे,

बोल रहे थे, कुछ कह रहे थे

वे हमेशा के लिए शांत हो गये ।


जिनकी एक पहचान थी 

अब उनकी शिनाख्त तक नहीं 

वे हो गये गुमशुदा 

उनकी पहचान को निकल गया 

हादसा...


(उड़ीसा रेल हादसे में मृत लोगों की आत्मा को ईश्वर अपने श्री चरणों में स्थान दे ।)



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