STORYMIRROR

JAYANTA TOPADAR

Action Classics Inspirational

4.1  

JAYANTA TOPADAR

Action Classics Inspirational

गुरु

गुरु

3 mins
43

ज्ञान, श्रद्धा और समर्पण का
पावन पर्व है गुरु पूर्णिमा...
आषाढ़ मास की पुर्णिमा तिथि में
मनाया जाता है गुरु पूर्णिमा।
भारतीय संस्कृति में
गुरु का स्थान है सर्वोच्च ;
निसंदेह गुरु हैं पूजनीय ।
‘गु’ का मतलब है 'अंधकार'
और ‘रु’ का मतलब है 'प्रकाश' --
एक ऐसा प्रकाश
जो अंधकार रूपी अज्ञानता को
पूर्णतया मिटाकर
ज्ञान रूपी प्रकाश का
पूर्ण संचार करता है !!!

एक आदर्श गुरु अपने शिष्यों को
सही दिशा निर्देश दिया करते हैं;
गुरु ही शिष्यों के जीवन को
सार्थक बनाते हैं।
अतः गुरु पूर्णिमा का पर्व
अपने गुरु के प्रति
हमारी सच्ची श्रद्धा, समर्पण एवं
कृतज्ञता ज्ञापन करने का
एक पावन अवसर होता है।

'व्यास पूर्णिमा' भी कहते हैं इसे हम,
क्योंकि महर्षि वेदव्यास जी का
हुआ था इसी दिन जन्म।
विशेषतः उन्होंने ही वेदों का
चार भागों में विभाजन कर
दिया मानव को अमूल्य ज्ञान...!
तभी तो वेदव्यास जी कहलाते हैं
सर्व गुरुओं का गुरु !!!

भारतीय परंपरानुसार
अपने गुरु को प्रणाम कर,
उनसे आशीर्वाद लेकर...
उनके उपदेशों को स्मरण करने का
पावन अवसर है गुरु पूर्णिमा...!
आध्यात्म, शिक्षा, संस्कृति एवं
संस्कार का सम्मिश्रण है गुरु पूर्णिमा।

इसमें कोई दोराय नहीं
कि गुरु का स्थान प्राचीन काल की
गुरुकुल व्यवस्था से लेकर
वर्तमान समय की
आधुनिक शिक्षण संस्थानों तक
 स्पष्टतः अपरिवर्तित रहा है।

एक आदर्श गुरु न केवल
शिष्यों को विषय का ज्ञान देते हैं,
बल्कि उनमें चरित्र-निर्माण, नैतिकता, अनुशासन और
आदर्श जीवनशैली का
बीजारोपण भी करते हैं...!
उन्हें एक नई उम्मीद देते हैं
आनेवाली सुनहरे पलों का...!

मगर आज के इस बदलते दौर में
जब शिक्षा परोक्ष रूप में कहीं-कहीं
'व्यवसाय'-सी बनती नज़र आ रही है,
 ऐसी परिस्थिति में
निसंदेह 'गुरु पूर्णिमा' हमें
गुरु-शिष्य 'परंपरा' की
पवित्रता एवं गहन अर्थ को
समझने की प्रेरणा देते हैं।

आज के इस तेज़ गति से धावमान
आधुनिक युग के परिपेक्ष्य मे
'समाज निर्माण' में
अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं
एक 'आदर्श गुरु'...।

गौरतलब है कि
आज की तकनीकी युग में
इंटरनेट और सचल दूरभाष यंत्रों ने
जिस तेज़ी से युवाओं के सामने
सूचनाओं की
भरमार कर दी है,
कभी-कभी तो कई युवा
सही और गलत की पहचान करने में
असफल होते हैं...
उचित निर्णय लेने में
असमंजस में पड़ जाते हैं...!

चाहे कोई माने या न माने--
उन राह भटके युवाओं का
सही मार्गदर्शन करवाने वाले भी हैं
एक आदर्श सफल 'गुरु'
अन्यथा कोई नहीं...!!!!
क्या ये समय आत्मचिंतन एवं
आत्मविश्लेषण का नहीं...???

सांसारिक ज्ञान के अलावा भी है
गुरु का एक और रूप --
वो है आध्यात्मिक गुरु। 
ऐसे गुरु अपने शिष्यों को
आत्मा, परमात्मा, मोक्ष और जीवन के वास्तविक उद्देश्य से
साक्षात्कार करवाते हैं ;
उन्हें लोक-परलोक दोनों क्षेत्रों में ही
सफल बनाते हैं।
इसके ज्वलंत उदाहरण हैं
गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस एवं उनके शिष्य स्वामी विवेकानंद का अमिट बंधन...;
संत कबीर एवं उनके शिष्य
रैदास का अटूट बंधन...!

'गुरु पूर्णिमा' महज़ एक पर्व नहीं,
बल्कि ये तो 'प्रतीक' है चिर कृतज्ञता का...!
'गुरु पूर्णिमा' हमें याद दिलाता है
कि मनुष्य जीवन में सफलता
केवल 'किताबी ज्ञान' से ही नहीं,
बल्कि एक आदर्श गुरु के
सान्निध्य एवं मार्गदर्शन से ही
संभव हो सकती है...।

आइए, हम अंतर्मन से
अपने गुरु का सम्मान करें...!
 उनके दर्शाए मार्ग पर चलकर स्वयं को संवारें...
आइए, हम स्वेच्छा से स्वागत करें
संस्कारों का...।
सार्थकता लाएं जीवन में
आहिस्ता-आहिस्ता...  


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action