गुरु
गुरु


गुरु बिन नहीं है ज्ञान
ज्ञान चक्षु उघारे
वही होता महान
इसीलिए शिक्षक का
ऊँचा स्थान।
कुंभकार सा माटी के
घड़ों को देता आकार।
सिखाता स्वप्न किस तरह
देखने मात्र से नहीं
मेहनत, लगन से
होते साकार।
दुनिया में कब, किस, भांति
निभाना कैसा व्यवहार।
क्या है सदाचार,अनाचार?
माता-पिता हैं पूजनीय
शुभ विचा।
जीवन के उद्देश्यों को
देना है कैसे सँवार?
सदमार्ग की राह दिखाता
कुमार्ग से लेता उबार।
इस तरह बनता वो
देश निर्माण का आधार
भविष्य देश का उसके हाथ
नहीं ये मामूली काम है
इसलिए महत्व शिक्षक का
और शिक्षक दिवस मना रहा
आज हिंदुतस्तान है।
राधाकृष्णन की बातों का
करके देखो मान है।