गुरु और शिक्षा
गुरु और शिक्षा
स्कूल का पहला दिन
ऐसा लगता है
जैसे पहला कदम
हर बच्चा चलता है।
जब के प्रथम गुरु है मां
मैं कहूं गुरु हर बच्चे का जहां।
मां अपने बच्चों को संभाले
गुरु शिक्षा सब जग को पाले
मां से मिलती है हमें
प्रेम संस्कार की दीक्षा
गुरु से मिलती है
सारे जग्गू शिक्षा।
गुरु मिलते अगर क्रोधी
मां से कहते स्कूल नहीं जाना
यदि मिले स्नेह गुरु से
अपना घर होता भूल जाना।
कैसा पावन हृदय गुरु का
जिसमें पहले हर बच्चे का ख्वाब
ऐसी शिक्षा मिलती गुरु से
सारे जग में हाजिर जवाब।
शिक्षा पाकर सफल हुए जो
खुशी से लाल चेहरा पाया
घर परिवार और तरक्की उन्नति
सब में साथ गुरु का साया।
छड़ी नहीं उठाते कभी जो
शब्दों से कर देते प्रभावित
गुरु शिक्षा मिले सभी को
करें इसे जन-जन में समाहित।
