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Ratna Kaul Bhardwaj

Inspirational

4  

Ratna Kaul Bhardwaj

Inspirational

गुफ्तगू

गुफ्तगू

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कल जिंदगी से मुलाकात हुई

पहली बार खुलकर बात हुई

मैंने पूछा मेरी राहों में क्यों खड़ी है

कहीं जाओ, सारी दुनिया पड़ी है

वह हौले से मुस्कुराई और बोली

आंख मिचौली क्या कभी खेली

मैं भी मुस्कुराई और हंसकर बोली

हिम्मत है तो यह देख ले मेरी झोली

उसके सामने मैंने अपनी झोली खोली

मुझे देखती रही पर कुछ भी न बोली

उसकी आंखें मैंने टटोली चुपके चुपके

वह हिसाब लगा रही थी सुबकते सुबकते

मैंने कहा क्यों मेरे सफर से परेशान है

हर कदम पर मेरे कई गहरे निशान है

कुछ पल यकीनन मुझे दहला रहे हैं

पर कुछ सहला रहे है, कुछ बहला रहे हैं

तूने दर्द दिए पर मैं खफा नहीं हूं

उम्र भर रोऊं मैं वह वफा नहीं हूं

मेरी यादों में बसा तेरा हर चेहरा है

जिन पर न किसी और का पहरा है

ए जिंदगी! सफर दोनों का यक़साँ है

मेरा तुझ पर, तेरा मुझ पर एहसान है

धूप छांव में हम अलग कहां थे

हाथों में हाथ था, हम जहां थे

कमबख्त! बस एक गिला है तुझसे

तू खुलकर कभी बोली नहीं मुझसे

अब वह पक्षियों जैसे चहचहाने लगी

भरपूर सांस लेकर मुझे लुभाने लगी

वह बोलीं, मैं खुश हूं ए मेरे हमकदम

तेरा हर लफ्ज़ पुख्ता है, एक दम

तेरी बातों से मुझे करार मिल गया

जीना सिखाया मैंने, तेरा इकरार मिल गया

चल मैं साथ हूं तेरे कदम कदम पर

जीत ले दुनिया हमारे लिए, अपने दम पर

नहीं करती है जिंदगी कभी बेवफाई

सम्भल कर चलो,चाहे पांगडंडी हो या खाई.......



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