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aazam nayyar

Abstract Tragedy Inspirational

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aazam nayyar

Abstract Tragedy Inspirational

गुफ़्तगू प्यार की

गुफ़्तगू प्यार की

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गुलाब उल्फ़त के ही भेजते रहे हैं हम 

जिसकी की नफ़रत में ही भीगते रहे हैं हम 


फुवार करके उल्फ़त की यहां दिलों पे ही 

दीवारे नफ़रत की ही तोड़ते रहे हैं हम 


लगा वही तोड़ने पे रिश्तों के धागे को 

मुहब्बत के धागे हर पल जोड़ते रहे हैं हम


ठुकराता वो ही रहा है मुहब्बत मेरी तो 

उसे मुहब्बत जितना बोलते रहे हैं हम 


मिला उतना नफ़रतों का मुझे समंदर है 

जितना पीछे प्यार के भागते रहे हैं हम


नहीं आया वो मिलने को मगर हमसे यारों 

उसकी आज़म राह बस देखते रहे है हम।

आज़म नैय्यर 


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