गुनेहगार
गुनेहगार
क्रूर हो रहे अत्याचारी
लूट रही है अबला नारी
जो झूम रहे है इस दंगल में
वो कब तक रहेंगे मंगल में
एक दिन यह अबला सबल
हो जाएगी
फिर उनकी नींव ढह जाएगी
कोई पानी भी न पूछेगा
उन इंसानियत के ज़ाहनज़ारों को
कोई बहन माँ न मुआफ़ करेगी
कभी भी इन गुनहगारों को...
