गुमसुम मोहब्बत
गुमसुम मोहब्बत
गुम हो जाता है
मेरा वो हर डर
तुम्हें खो देने का
तुमसे जुदा होने का
तुमसे दूर जाने का ,
जिस पल, मुझे याद आता है
तेरा दिया वो,हर ज़ख्म
मुझ पर किए तमाम सितम
मुझे छोड़ कर तन्हा ,
गुजारना रातें
किसी और की बाहों में ।
अब गुम हो जाता है
अँधेरो में वो तेरे संग
बिताया हर एक लम्हा ।।