गुम हूँ मैं
गुम हूँ मैं
गुम हूँ मैं
उस अंधेरे में
जहाँ एक रोशनी
मेरा पीछा कर रही ह
गुम हूँ मैं
उस खामोशी में
जहाँ एक आवाज़
मुझे ढूंढ रही है
गुम हूँ मैं
उस निराशा में
जहाँ एक उम्मीद
मुझे पुकार रही है
गुम हूँ मैं
एक ऐसी किताब में
जहाँ एक कलम
मुझे लिखना चाहती है
गुम हूँ मैं
उस भीड़ में
जहाँ कोई नज़र
मुझे तलाश रही है
गुम हूँ मैं
उस गहरे समंदर मे
जहाँ कोई किनारा
मेरी राह देख रहा है
गुम हूँ मैं
इस अजनबी दुनिया में
जहाँ कोई अपना
मेरा हाथ थामने के लिए खड़ा है
गुम हूँ मैं
उस वक्त में
जहाँ कोई लम्हा
मेरा नाम पुकार रहा है
गुम हूँ मैं
उस राह में
जहाँ कोई मंजिल
मुझे अपने पास बुला रही है!