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Mahak Garg

Abstract

4.5  

Mahak Garg

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अनमोल दुआ

अनमोल दुआ

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निराशा के सफ़र में

एक दुआ भी साथ चलती है

जहाँ भी हो अंधकार

दीप बन रोशनी भरती है।


नाकाम हो सारी कोशिशें जहाँ

दुआ ही एकमात्र मार्ग बनती हैं

जब - जब दुखों के बादल छाये

इंद्रधनुष बन रंग बिखेरती है ।


उम्मीदों का सूरज ढल जाए जब

एक दुआ ही नया सवेरा जगाती है

उदासी भरी धूप में

छाँव बन शीतलता देती है।


जब देने को कुछ न हो

एक दुआ ही अनमोल तोहफा होती है

जब घुटने टेक दें दवाएं

आस्था बन विश्वास जगाती है ।


निकली जो दिल से हो

एक दुआ आराम पहुँचाती है

खुदा जो क़ुबूल कर जाए

जिंदगी को नया जीवन प्रदान करती है।



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