चाहता है
चाहता है
आज न जाने क्यूं
कुछ और पल यहां ठहरने को जी चाहता है,
इस जगह की दीवारों में बस जाना चाहता है,
Library की खामोशियों में गुम होना चाहता है,
Canteen से कुछ बातें करना चाहता हैं,
Classroom के lecture को थोड़ा और सुनना चाहता है।
कल तक जिस पल के खत्म होने की ख्वाहिश थी,
आज उसी लम्हे को संजोने को ये जी चाहता है।
कल तक जहां से जाने के लिए उतावली थी मैं,
आज यहां से कदम बढ़ाने से ये जी घबराता है।
कल तक जिन बातों को लेकर रोते थे,
आज उन पर खुल कर हँसना चाहता है।
अजनबी जिसे कहा करते थे,
आज उसे अपना कहने को ये जी चाहता है।
कल तक कहते थे, कि lockdown में 2 साल अच्छे निकल गए,
पर अब लगता हैं, जिंदगी के कुछ खूबसूरत पल पीछे रह गए ।
काश ये वक्त हम फिर से जी पाए,
काश इन गलियों में हम फिर से घूम आए,
काश ये वक्त कुछ और पल ठहर जाए,
हर क्षण इस वक्त का,
आज दिल में कैद करने को ये जी चाहता है ।