जंजीरे
जंजीरे
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कैसी है रे तू !
भला नहीं किया तूने,
तो बुरा भी मत कर ।
हर किसी को जकड़ा है तूूने
क्या किया ये तूने ?
आतंकवाद के जंजाल में
भ्रष्टाचार की भूलभुलैया मेें,
भेदभाव की हथकड़ियो में,
पति - पत्नी को अलग करती है,
बाप-बेेेटे को बिछडाती है
सारे रिश्ते तोड़ दिए तूने ।
क्या किया ये तूने ?
गुनहगार के पैरो की धूल है तू
निर्दोष के सर का ताज है तू
सब खत्म कर दिया तूूूने ।
क्या किया ये तूने ?
क्यों किया ये तूने ?