किया होगा
किया होगा
सोच के अपनी माँ को वो
कितना रोया होगा
जब देखी उसने भारत माता
हिम्मत जुटा खड़ा हुआ होगा।
आसमान को देख अपने
पिता की याद जो आई होगी
उसकी सेवा कर न पाया
मगर देश सेवा में कमी न होगी।
एक बार तो उसे अपने
भाई की याद भी आई होगी
किसी त्योहार पर मिल ना पाया
आज खून से होली और बंदूक से
दीवाली मनाई होगी।
जब देखी उसने कलाई अपनी
बहन की याद तो आई होगी
हम सब की राखी हेतु
उसने जान अपनी दांव पर लगाई होगी।
जब याद आया सिंदूर पत्नी का
दिल ज़रा घबराया होगा
देख लहू बहता वीरों का
हर मुश्किल से टकराया होगा ।
नज़र पड़ी जब मिट्टी पर
बच्चों को याद किया होगा
देश की रक्षा करने हेतु
मिट्टी को माथे से लगाया होगा।
सरहद की सीमा देख कर
वो गाँव याद आया होगा
मगर सरहद की गरिमा हेतु
हर दुख को अमृत बना पिया होगा।
वतन की मिट्टी में समा कर
दिल को सुकून तो आया होगा
देश को आज़ाद देख कर
आज वो मुस्काया होगा।
सीने पर गोली खा कर
उसका लहू बहुत बहा होगा
जब तिरंगा ऊँचा लहराया
अपनी शहादत पर गर्व ज़रूर हुआ होगा।
