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Govind Narayan Sharma

Romance

4  

Govind Narayan Sharma

Romance

गुलबदन

गुलबदन

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अपनी आंखों के झरोखों में बिठा लो मुझको,

किस तरह रूह में मेरी बसाऊँ प्रिय तुझको !


फूल तुम बन जाओ तेरी महक मैं बन जाऊं,

तेरी खुशबू बन के चमन में महक फैलाऊं! 


मैं बनूँ पराग तू बन भ्रमर रसपान को आना, 

पीकर नवरस पराग मधुप मेरे मदहोश होना! 


मैं तेरी चांदनी तू चाँद सलोना मेरा प्रियतम ,

बनूँ चकवी निहारु तुझको मेरे प्रिय हमदम! 


तू बैठ जरा संग मेरे उतारूँ तुझे मेरी रूह में,

मनमीत गीत बना गाऊँ सांसो की सरगम में !


कोयल मधुर गान करती तरुओं की डाली रे,

नखरे वारी मीठी लगे तेरी मस्ती भरी गाली रे!


मैं गलियों का राजा तू प्रिय अलबेली नार,

मैं जोगी तू मेरी जोगनिया अल्हड़ गुलनार!



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