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Ritu asooja

Classics

4  

Ritu asooja

Classics

गुजरे जमाने

गुजरे जमाने

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याद आते हैं बचपन के दिन पुराने

जाने क्यों हो गए इतनी जल्दी सयाने

आ लौट चलें बुलाते है खो-खो कब्बड्डी के जमाने

वीडियो गेम्स में गुम हो गए बच्चों

के पार्क अब सुनसान खाली आशियाने

सीढ़ियों की रेलिंग पर

झूले की तरह फिसलना

सीढ़ियों के कोने में

बसा हमारे खिलौनों का अड्डा...


मां की रसोई से कुछ बर्तन उठा लाना

आटे की लोई से अपने खेल के घर-घर की

रोटियां बनाना, अंगीठी की आंव जलाने की

कोशिश करना फिर घर के बड़े बुजुर्गों का

चिंता में गुस्सा करना।

छुप न छुपाई खेलना

सारा - सारा दिन छत पर बीत जाना


शाम होते ही स्कूल का वास्ता उठा पढाई करना

रंगों से सपनों की कलाकृति बनाना

कलाकृति कम स्वयं को और कपड़ों को ज्यादा रंग देना

बहुत याद आते है वो बचपन के दिन पुराने

जाने क्यों हो गए हम सयाने

मानो हमसे छीन ही गए बेवजह मुस्कराने के बहाने

याद आते है दादी-नानी के किस्से पुराने


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