गर्व मुझ में शिक्षक हूँ
गर्व मुझ में शिक्षक हूँ
शिक्षा देना परम पुनीत कार्य,
प्रभु ने मुझे यह कार्य दिया!
बच्चों का मैं भविष्य सवारूँ,
गर्व मुझे, इस निमित्त किया !
शिक्षक की लोग बुराई करते,
हम भूले, वह देता सच्चा ज्ञान!
जीवन में जो कुछ योग्य बने है,
गुरु के शिक्षा का परिणाम !
शिक्षक के आज बदौलत ही,
आगे बढ़ा बहुत विज्ञान!
उनके शिक्षा की देन से ही,
हम बना लिए है चंद्रयान !
गुरु कभी अपने शिष्यों का,
कुछ भी अहित न करते हैं!
उन्हें सदैव संस्कार ही देते,
भविष्य निर्माण ही करते हैं !
मान सदा शिक्षक का करना,
सदैव सभी का होता फ़र्ज!
अमीर बने या कितने हो ज्ञानी,
चुका नही सकते हम कर्ज !
कभी नही हम पैसे से,
शिक्षा का मोल लगा सकते!
शिक्षा होती अनमोल सदा,
उसको हम तौल नही करते !
गुरु और शिष्य के मध्य,
प्यारा सा रिश्ता होता है!
गुरु के सम्मुख शीश सदा,
सम्मान में शिष्य का झुकता है !
हर काल में देश व समाज को,
शिक्षक नई दिशा बताता है!
लोग करें कितनी भी निंदा,
वो देश का भविष्य बनाता है !