ग़रीब की व्यथा
ग़रीब की व्यथा
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एसी घर में रहने वालों,
तुम क्या जानों दर्द मेरा
रात घनी हो या तेज सूर्य चमकता
करता था मैं काम तेरा,
अब जब विपत्ति मुझपे आयी है,
मरने के लिए मुझे अकेला छोड़ दिया।
मेरी अशिक्षा का ढोल बजाकर
मेरे मरने की वजह मुझे ही बताते हो,
तुम्हारी जान कीमती है,
मुझे बेमतलब का इंसान बताते हो,
तुम्हें तो एयरोप्लेन मिला,
पर,मरने के लिए मुझे अकेला छोड़ दिया।
ये सरकार हमारी क्या सुनेगी,
जब अपनों ने ही साथ छोड़ दिया।
वर्षों से काम करता था तेरे लिए,
आज मरने के लिए मुझे अकेला छोड़ दिया।