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Pandav Kumar

Abstract Tragedy Others

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Pandav Kumar

Abstract Tragedy Others

ग़रीब की व्यथा

ग़रीब की व्यथा

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एसी घर में रहने वालों,

तुम क्या जानों दर्द मेरा

रात घनी हो या तेज सूर्य चमकता

करता था मैं काम तेरा,

अब जब विपत्ति मुझपे आयी है,

मरने के लिए मुझे अकेला छोड़ दिया।


मेरी अशिक्षा का ढोल बजाकर

मेरे मरने की वजह मुझे ही बताते हो,

तुम्हारी जान कीमती है,

मुझे बेमतलब का इंसान बताते हो,

तुम्हें तो एयरोप्लेन मिला,

पर,मरने के लिए मुझे अकेला छोड़ दिया।


ये सरकार हमारी क्या सुनेगी,

जब अपनों ने ही साथ छोड़ दिया।

वर्षों से काम करता था तेरे लिए,

आज मरने के लिए मुझे अकेला छोड़ दिया।


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