STORYMIRROR

Haripal Singh Rawat (पथिक)

Abstract

2.5  

Haripal Singh Rawat (पथिक)

Abstract

गरीब बचपन

गरीब बचपन

1 min
526


रो रो हँसते,

निश्चल मन को

जो मैंने पढ़कर देखा

आज तप्त सड़क पर ,

फिर बचपन को

धूँ-धूँ जलता देखा।


अर्द्ध नग्न, झुलसा सा तन, 

कई आह समेटे, चक्षु पटल,

रुग्ण भरे मन के संग मैनें,

व्योम को रोता देखा।

आज तप्त सड़क पर..।


मन कचोड़ता, पराया "दर्द",

करतब दिखलाता खुद जल -जल,

चन्द माताओं के लिये, विवश दिव्य को,

दैत्यों के सम्मुख देखा

आज तप्त सड़क पर..।


छलक उठा वारि तृष्ण नयनों से,

छुए ज्यों उसने, पग मेरे

कंपित हो उठा,

मैं जल तरंग सा,


हृदय उमड़ी, दामिनी चंचल,

उसके भाल के तेज से मैंने,

संसार को जलता देखा।

आज तप्त सड़क पर

फिर बचपन को

धूँ-धूँ जलता देखा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract