गृहस्थी
गृहस्थी
गृहस्थी की गाड़ी
कुछ हिचकोले खा रही है
करोना के डर से
दूरियाँ बढ़ा रही है।
दिन तो कट जाता है
पर परेशानी होती है
अपने ही घर में
छूने से मन डरता है ।
जहाँ होते थे कहकहे
वहाँ एक ही बात होती है
कितने नए केस आए
हर कोई पूछता है।
शुक्र है प्रभु गृहस्थी ठीक है
सब की ठीक चले है प्रार्थना
देश खुशहाल हो है यह मनोकामना
गृहस्थ सुखी हों है मंगलकामना।