ग्रह दशा
ग्रह दशा
हर गुजरते पल के साथ।
उसकी बैचैनी बढ़ रही थी।।
कभी नजर घड़ी पर थी ।
कभी नजर मोबाइल पर थी।।
जाने क्या जवाब होगा लड़की वालों का।
बस ये ही कसमसाहट मन में थी।।
कहीं सबकी तरह ये भी मना कर देंगे।
कई ऐसी आशंकाएं जेहन में थी।।
बीते समय के पन्ने यादों में पलटने लगे।
मम्मी बताती थी किस तरह पैदा होते ही।।
एक बाबा ने हम सबको बताया था।
कुंडली में अपनी दोष भर-भर के लाया था।।
जितने उपाय बताए बाबा जी ने।
वो सब उपाय हमने थे किये।।
टल जाए बलायें किसी तरह से।
हर तरह के जतन थे किये।।
ग्रह दशाओं के इस जाल ने।
अब तक पीछा ना छोड़ा है।।
शादी की बात चले कहीं तो।
अटक जाता कोई रोड़ा है।।
मांगलिक , सर्प दोष और जाने।
क्या - क्या दोष बताते है।
फिर उन्हें दूर करने के ।
आड़े-टेढ़े रास्ते बताते हैं।।
हर उपाय करने के बाद भी।
कोई फल नहीं आ रहा है ।।
आज इसीलिए उसका दिल।
घड़ी की टिक-टिक से घबरा रहा है।।
जाने क्या सच है ये सब।
या झूठ का कोई आडंबर है।।
अंधविश्वास है ये कोई या फिर।
सच में ग्रह दशाओं का बवंडर है।।
मिल जाते हैं विचार तो भी।
क्या गुण मिलाना जरूरी है।।
या जिनके गुण मिल जाते हैं।
क्या उनकी जिंदगी भरी-पूरी है।।
विश्वास ना हो रिश्ते में तो।
ग्रह कब तक उन्हें साथ रख पाएंगे।।
आपसी समझ हो रिश्तों में तो।
बुरे ग्रह-दशा भी क्या बिगाड़ पाएंगे।।