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Ritesh Maurya

Inspirational

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Ritesh Maurya

Inspirational

ग्राम्य

ग्राम्य

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प्रकृति की यह कैसी माया,

कहीं धूप है तो कहीं छाया,

यही है गांव की अनोखी काया,

माना कि यह तेरे शहर जितना बड़ा नहीं,

लेकिन यहां रहने वाले लोगों का दिल,

तेरे शहर के लोगों से है बड़ा कहीं,

माना कि मेरे गांव में आधुनिकता की वो शिक्षा नहीं,

लेकिन यहां के संस्कार तेरे शहर से अच्छे कहीं,

उस शहर में लोग एक दूसरे को पहचानते तक नहीं,

यहां कोई मुसीबत आए तो,

लोग बांट लेते चाहे वो छोटी हो या बड़ी


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