मिली साहा

Abstract

4.8  

मिली साहा

Abstract

ग्रामीण परिवेश

ग्रामीण परिवेश

1 min
426


गांँव के परिवेश में नज़र आती है भारत की वास्तविक तस्वीर।

संस्कृति परंपराओं की झलक ऐसी यहाँ देख नैनों से बहे नीर।।


राह चलते लोगों से भी ऐसे मिलते जैसे संबंध हो कोई पुराना।

अपनेपन की खुशबू यहांँ की मिट्टी में, हर मौसम लगे सुहाना।।


तीज त्योहार या विवाह का हो उत्सव, सब मिल होते शामिल।

शहरों में रहते हैं लोग ज़रूर पर गांँव में बसता है उनका दिल।।


निस्वार्थ भाव से करते एक दूजे की मदद स्वभाव से वफ़ादार।

औरों का कार्य भी करते अपना समझकर ऐसे होते दिलदार।।


ग्रामीण परिवेश ने कायम रखी है, संयुक्त परिवार की परंपरा।

बड़े बुजुर्गों का सम्मान होता, रखा जाता है उनका ध्यान पूरा।।


रिश्तो का महत्व सर्वोपरि यहाँ पर, आपस में रखते हैं सद्भाव।

गाँव के खूबसूरत परिवेश में महसूस होता है प्रकृति से जुड़ाव।।


सुख-सुविधाओं से दूर, कठिन होता है ज़रूर जीवन यहांँ का।

पर सुख शान्ति सुकून ढूंँढोगे तो मिलेगा यहीं संपूर्ण जहांँ का।।


प्रदूषण रहित शांत वातावरण, है यहाँ पर संतुष्टि भरा जीवन।

प्रतिस्पर्धाओं से दूर रहते हैं गांँव यहांँ सामाजिक होता है मन।।


कृषि गतिविधियों के साथ-साथ यहांँ पर जीवित है हस्तकला।

कठिनाइयों के बावजूद भी यहाँ, सुकून का फूल रहता खिला।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract