STORYMIRROR

अच्युतं केशवं

Drama

2  

अच्युतं केशवं

Drama

गोरी बैठी बाग में

गोरी बैठी बाग में

1 min
183

गोरी बैठी बाग में,केश सँवारे हाथ

केश उठैं तो पूर्णिमा, गिरत अंधेरी रात। 


गिरत अँधेरी रात, नैन तारे से चमकैं।

हँसत कुमुदिनी खिलै,धवल दन्तावलि दमकै।


फोन सैल्फी खोल, देखती चोरी-चोरी

मुख फेरै मुस्काय, बाग में बैठी गोरी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama