ग़म
ग़म


ये दुनिया बहुत बेरहम,
चैन नहीं लेने देती बेशर्म,
जब कभी होता अकेला,
उसका दर्द घेर लेता,
एक एक बात ज़हन में आती,
सारी कहानी खुलकर सामने होती,
उसका मुस्कराना,
दुपट्टे का गिर जाना,
और उसे फिर से उठाना,
मेरा उसकी इस अदा पे मर जाना,
घंटों उसे देखने का इंतजार करना।
फिर एक दिन उसका किसी
और के साथ हो जाना,
और मुझे एक झटका लग जाना,
मेरा गुम सूम हो जाना,
हर किसी का मज़ाक उड़ाना,
बस जीवन खत्म होता नजर आना।
किंतु उपर वाले का शक्ति देना,
और उस ग़म से निकल आना,
फिर से जीवन की लय पकड़ जाना।
अब भी जब उसका याद आना,
दिल का दर्द से भर जाना,
और सारा मंजर आंखों में उभर आना।