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PRAHLAD pk verma

Romance

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PRAHLAD pk verma

Romance

तुम निकलना मेरी तलाश में

तुम निकलना मेरी तलाश में

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निकलना कभी तुम मेरी तलाश में

तब जान जाओगे तुम कि मैंने क्या खोया है

तेरी तस्वीर सीने से लगा रखी थी 

मन्नते तेरी सजा रखी थी

तुमने मुड़ कर देखा नहीं मेरी तरफ 

मैने आस तेरी लगा रखी थी

तुम्हे खोना,या पाना मेरी जुस्तजू थी 

तुमने तो मेरी अफवाह उड़ा रखी थी 

तुम्हे न पाना नाकामी होगी मेरी 

मगर नींद तुमने मेरी उड़ा रखी थी 

दोस्तों की जान हुआ करता था मैं

उन्होंने तुम्हे भाभी बना रखी थी

तुमसे ना,सुनना दुख था मेरा

दोस्तों ने तो बियर मंगा रखी थी 

मोहब्बत ने नीलाम कर मुझे 

मां ने तो दुआ बचा रखी थी

मैं तुम्हारी जुदाई सह नहीं पाया

दोस्तों ने मेरी मयत सजा रखी थी

तुम खुश रहने अपने आप में

मैंने तुम्हारे नाम दुआ सजा रखी थी

तुम मेरी होती तो बेहतर होता 

खुदा से तेरी दुआ कर रखी थी

अब अलविदा कर रहा हूं तुम्हे 

दोस्तों को तुझे जान बता रखी थी

जान तो एक दिन चली जाती हैं

जान सब को तुम्हे जो बता रखी थी।


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