गम
गम
मुझे फरेब नहीं आता ग़ालिब
जो है वो है !
कि बस मत पीने दो उन्हें और
ये इम्तेहान इश्क का है,
गम का नहीं !
पर कुछ बूंद यूं गले से
उतर जाने दो कि
उन्हें पता ना चले
और हमें कमी ना खले...!
मुझे फरेब नहीं आता ग़ालिब
जो है वो है !
कि बस मत पीने दो उन्हें और
ये इम्तेहान इश्क का है,
गम का नहीं !
पर कुछ बूंद यूं गले से
उतर जाने दो कि
उन्हें पता ना चले
और हमें कमी ना खले...!