गली गली
गली गली
मौत मिलती ना ढूँढने से।
पैमाने की खनक मिलती गली-गली।
तारे ना चमकते भोर से।
आर्टिफिशयल प्रकाश मिलता गली-गली।
उम्मीद मिलती ना ख्वावों से।
मेहनत की परकाष्ठा फैली गली-गली।
साई जी ढूँढे ना मिले पत्थरों से।
मिटटी की मुरतो की पूजा होती गली-गली।
देशभक्ति ना मिले दुकानो से।
धर्म की दीवार चढ़ी गली-गली।
माँ-बाप को पूछे ना हाल-चाल घर से।
समाज सेवी संस्था खोल बेठे बेटा-बेटी गली-गली।
हमारा देश,हमारा देश कहे हर कोई घर से।
टैक्स की चोरी होती यहाँ गली-गली।
खोखला हो गया है कैसा मेरा देश अन्दर से।
जिसकी अनेकता मे एकता के किस्से गूँजते थे कभी गली-गली
कोई क्या उम्मीद लगाए अदना कबि भगत से।
जो खुद भीख मांगता हरफो की सरस्वती माँ से गली-गली।