Dippriya Mishra

Inspirational

4.5  

Dippriya Mishra

Inspirational

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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तिल तिल जलकर भी उम्मीदों ने ही रोशनी दी है।

व्यथाओं का भी शुक्रिया जिसने मुझे लेखनी दी है।


महफ़िल लूट ले गए वो झूठ बोल-बोल कर ,

सच बोलने की हुनर ने मुझे बस दुश्मनी दी है।


परिंदा हूँ रग -रग में शामिल है मेरे परवाज़ भरना,

शुक्र है खुदा का मेरे घोसलें को को भी पहने दी है।


अपनी दुवाओं से वो मेरा ग़म भी खरीद लेता है,

मुझे भी है गुरूर ,उसने मुझे दोस्ती वजनी दी है।


तारों के 'दीप' झिलमिल करें , खिले कमलिनी,

चाँद उतर सके अँगना इसीलिए रजनी दी है।




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