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Neeraj pal

Abstract

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Neeraj pal

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गजल।

गजल।

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मुझे कौन जानता था तेरी मोहब्बत से पहले।

मैं तुम्हीं को पूजता था इस जिंदगी से पहले।।


मैं तो हाड़ -मांस का पुतला था, कुछ ना थी मेरी हस्ती,

जीना तो एक बहाना था, डूब रही थी जैसे किश्ती।

ठोकरें खा रहा था इस जिंदगी से पहले।।


मैं था इस जहां में ऐसा जैसे मुर्दे में जान न होती,

अताह की तुमने जिंदगानी, भर दिए जिसमें मोती।

मुझे मिल गया वो सब कुछ इस जिंदगी से पहले।।


यूं तो दुनिया में है लाखों, पर तुम सा न कोई होगा,

तू है मेरे दिल का टुकड़ा, धड़कनों में कोई न होगा।

सूना पड़ा था मेरा जीवन, इस जिंदगी से पहले।।


तुम तो मिले हो मुझको, सारा जहां मिल गया है,

सूनी पड़ी थी बगिया, मुरझाया फूल खिल गया है।

मज़ा क्या था जिंदगी में, तेरी मोहब्बत से पहले।।


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