गीत
गीत
कोई गीत जैसे
हौले से
सरक जाता हैे कानों से
और
स्वर को कहीं बैठा जाता है
मन में
तेरा होना भी वैसा है।
कोई गीत जैसे
हौले से
सरक जाता हैे कानों से
और
स्वर को कहीं बैठा जाता है
मन में
तेरा होना भी वैसा है।