घमंड का करें त्याग
घमंड का करें त्याग
आज है खिलता हुआ पुष्पित पल्लवित
सुगंधित बसंत .....
स्नेह सिक्त सावन मेघ मल्हार
कल आ जाएगा रोता हुआ पतझड़ ..
कल सूखे पत्तों का उमड़ेगा ज्वार !!
आज है थिरकती खुशियों की झंकार
कल आ जाएंगी गम की तूफ़ानी बयार !!
आज है युवा मन की मुट्ठी में इंद्रधनुषी रंगों की फुलवारी !
कल आ जाएगी ढलते सूरज सी ढलती उम्र की खुमारी !!
फिर घमंड किस बात का, चलो इस घमंड को करें चूर !
इस घमंड से कई शक्तिशाली लोग हो गए अपने लक्ष्य से दूर !!
घमंडी प्रवृत्ति इतिहास से ही मुँह के बल गिर जाती रही हैं !
घमंडी चेतना कभी भी अच्छी विशेषता में गिनी जाती नहीं है !!
चलो इस घमंडी भाव का करें हम सब परित्याग ....करें
इस दुष्प्रवृत्ति का त्याग ...
मानवीय मूल्यों की माला के हैं.. बहुत से प्यारे मोती !
चलो इस मोती की लड़ी में सद्गुणों को हम पिरोएँ,
चलो आज इंसानियत के लिए स्नेह के बीज बोएँ !!
