ग़ज़ल
ग़ज़ल
मेरे प्रीतम की सुंदरता का मुश्किल बयान है,
शम्मा ज्यूँ आफ़ताब का करे बखान है।।
बड़े लंबे अरसे से रही जिसकी तलाश है,
लोगों को कहते सुना कि तेरा दिल ही मकान है।।
हर लम्हा रहे आपके नाम का ख्याल है,
आशिकों को इसके सिवा क्या आन है।।
हर रोज इंतजार कर, मरता हूं आपके वादे पर,
कभी तो तसल्ली हो कि बस आखरी इम्तिहान है।।
तेरे दीदार की लौ को कभी भी बुझने न दूंगा,
तू कर ले कितने भी बहाने ,तेरा दिल मेरी जान है।।
असहाय हूं ,बेकार हूं ,तेरे इश्क की तलाश है,
यह तेरा हक है तू माने ना माने ,पर तू मेरा ही प्यार है।।
राज़ी उसी में जिसमें तेरी रज़ा है, मुझे यह भी मंजूर है,
फना हो जाऊंगा तुझी में , तुमसे ही मेरी पहचान है।।
बेचैनी इस कदर बढ़ रही, ये दिल बेकरार है,
मना ही लूंगा तुझे, मरने तक इंतजार है।।

