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Neeraj pal

Romance

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Neeraj pal

Romance

ग़ज़ल।

ग़ज़ल।

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जाने कब पर्दा हटाया जाएगा

जाने कब जलवा दिखाया जाएगा

इंतजारी में ढली जाती है उम्र

जाने कब दिल में समाया जाएगा


साक़िए-महफ़िल क्या हमको भी कभी

फैज़ का प्याला पिलाया जाएगा

रहम! अब तो बंदा -परवर रहम कर

!

कब तलक यूं ही रुलाया जाएगा

थक गए हैं पा (पैर) बदन है चूर-चूर

और अब कब तक नचाया जाएगा

इश्क से पहले हमें मालूम ना था


इस कद़र हमको सताया जाएगा

आपका बंदा है "नीरज "भी हुजूर

कब इसे दिल से लगाया जायेगा।


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