ग़ज़ल
ग़ज़ल
शिकायत वो भला किससे करेगा।
जो मुफ़लिस है वो मुफ़लिस ही रहेगा।
फटे कुछ चीथड़ों में ही जिया है,
फटे उन चीथड़ों में ही मरेगा।
उसे बख़्शी ख़ुदा ने है वो कुव्वत,
वो हँसकर भूख को भी मार देगा।
बुझे चूल्हे की ठंढी आग से वो,
भयंकर सर्द रातें काट लेगा।
असर कुछ कब हुक़ूमत पर पड़ा है,
असर कुछ क्यों हुक़ूमत पर पड़ेगा।