ग़ज़ल
ग़ज़ल
ये हुनर बा कमाल देखूँगा।
जब वह खोलेगी बाल देखूंगा।
चांद से रूख पे शबनमी बूंदें।
हुस्न मैं बे मिसाल देखूंगा।
चैन मुझको नहीं जुदाई में।
फिर भी दिल का मलाल देखूंगा।
लौट आया तलाश में तेरे।
फिर नया माह ओ साल देखूंगा।
बदनसीबी की ना शिकायत कर।
तेरा वाजिब सवाल देखूं गा।
सगीर उस पर फिदा है दिल मेरा।
क्या है उसका ख्याल देखूंगा।

