ग़ज़ल - होली में
ग़ज़ल - होली में
दिल-ओ-जिगर में तेरा ही ख़याल होली में
कि लग रही हो बड़ी तुम कमाल होली में
ये रंग है या हया है जो तुझ पे सजती है
गुलाब सुर्ख़ लगे हैं ये गाल होली में
जो आसमाँ से ज़मीं तक दिखाइ देता है
तेरा है नूर तेरा ही जमाल होली में
गुलाल रंग थे बेरंग अब तलक देखो
तुझे छुआ तो हुए हैं ये लाल होली में
ये वादियाँ ये फ़ज़ाएँ महक रहीं तुझसे
तेरी ही साँस से बहका गुलाल होली में
ये शोख़ियाँ ये अदायें ये हुस्न का जलवा
न पूछ क्या है मेरे दिल का हाल होली में
चलो भुला दें सभी रंज और गिले-शिकवे
रहे न मन में कहीं भी मलाल होली में
तेरा ही नाम पुकारें ख़मोशियाँ मेरी
कि पूछना है मुझे इक सवाल होली में
हसीन और भी देखे मगर तुझे चाहा
खुदा करे कि हो 'अवि' का विसाल होली में।