घायल फ़रिश्ता
घायल फ़रिश्ता
खोजने खुदा को मैं आज फिर चला
हर गली मोहल्ले में वो मुझको मिला।
आफत की घड़ी में क़फ़न के नीचे से
जिंदगी जगाते एक सख्स जो मिला।
क्यों खोजूं मंदिर मस्जिद गुरुद्वारों में
हर चौखट पे खड़ा वो फ़रिश्ता मिला
तलाशे हार चुका था जो प्यार आज तक,
किताब में कैद वो कली गुलाब का मिला।
हर मुमकिन जगहों प ढूंढ चुका था जिसे
सर प बैठा वो ऐनक मेरा मुझको मिला।
अनपहचाने मर्ज़ से मरते अनजानों को
बचाने चला एक घायल फ़रिश्ता मिला।
बंदूक पत्थर तलवारों से डराओगे किसे
मुर्दे में जान फूंक दे जो एक डाक्टर मिला।
अब तो संभल जाओ ऐ बहके नादानों
इतना सब्र सेबा धैर्य किस गुनाह को मिला ?
बहुत बेहतर हाल इस बेहाली में भी
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां मिला।