रात के अंधेरे साए में
रात के अंधेरे साए में
रात के अंधेरे साए में एक
ज्योति बुझगई वासना और हैवानियत के नाम।
लेकिन हमारे मन को यूंही
प्रज्वलित करती रहेगी सुबह और शाम।
कि माफ नहीं करेगा हिंदुस्तान
ऐसा घिनौना काम।
चाहे उसके लिए चुकाना पड़े
कोई भी दाम।
अपराधों को रोकने के लिए
हमें बालिकाओं से ज़्यादा
बालकों पर कसनी होगी लगाम।
क्यूंकि परस्पर सहयोग से ही
ऊंचा होगा पूरे जगत में भारत का नाम।
