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SHIVAM AGRAHARI

Inspirational

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SHIVAM AGRAHARI

Inspirational

वादा

वादा

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आज बहुत ही खुशी का दिन है..

क्यूंकि आज मां से मिलने का दिन है..

ऐसा सोचकर वह युवक..

हां हां वह युवक..

अपने चेहरे पर अनायास ही खुशी बिखेर लेता है..

क्या पता आखिर दोबारा यह पल कब आए ..

यह सोचकर "बस" से बाहर अपने नेत्रों को फेर लेता है..

आज उसे पत्तों का हिलना भी..

चिड़ियों के कलरव करने की भांति लग रहा है..

मन में हिलोरें मारता समीर मानों उससे कह रहा हो..

आज तो तेरा हि दिन लग रहा है..

क्या क्या नहीं देखा उसकी नज़रों ने..

मानो लहलहाते खेत, झुंझुनाते पेड़, चहचहाते पक्षी..

सब बस उसे एक ही बात बोल रहे हो..

जी ले दिलखोलकर आज तेरा दिन है..

क्यूंकि आज मां से मिलने का दिन है..

अचानक बस के रुकने की आवाज़ सी आई..

मानो जैसे उसके दिल की धड़कनें रुक सी गईं हो..

जैसे ही बाहर की तरफ उसने नज़रें दौड़ाई..

गाड़ियों की लंबी कतारें लग आई..

उसके दिल की धड़कनें धीमी सी हो गई थीं..

उधर मां कि आँखों में अश्रु की बूंदे सूख सी गई थीं..

एक दूसरे पर निर्भर थीं उन मां बेटे की जिंदगी..

क्यूंकि उसके जन्म के उपरांत ही बाप ने गवां दी थी एक लड़ाई में अपनी जिंदगी..

हां हां गवां दी थी एक लड़ाई में अपनी जिंदगी..

काफी देर तक गाड़ियों की कर्कश आवाज़ से..

हो गया था उसका हाल बेहाल..

इतना बुरा हाल तो उसका हुआ नहीं कभी दुश्मन की भी हुंकार से..

पता नहीं कब आएगा वह समय काल..

जब फेरेगी उसके सिर पर वह अपना ममतामय हाथ..

सहसा बस का चलना नहीं आया मुसाफिरों को रास..

पर उसने ली राहत की सांस..

आखिरकार बस अपने पड़ाव पर पहुंच गई..

युवक के हृदय में खुशी की लहर दौड़ गई..

उसके द्वारा चपलता दिखाई गई..

भीड़ में से किसी तरह उसने नज़रें बाहर की तरफ दौड़ाई..

तुरंत वहां से निकलने के लिए उसने किसी तरह जगह बनाई..

और तेज़ी से घर पहुंचने में सफलता पाई..

अब लगा जैसे स्वर्ग की मंज़िल ही उसने पाई..

मां से मिलने की मंगल घड़ी आई..

मां ने दूर आहट से ही पहचान लिया था..

वह पल भी कितना भाव विभोर हो उठा था..

परंतु मां का हृदय था रूठा..

हर बार कि तरह इस बार भी वह निकला झूठा..

हां हां वह निकला इस बार भी झूठा..

पूरे हिन्द की माओं के खातिर दिया था उसने अपनी जन्नी को ही धोखा..

हां हां दिया था उसने अपनी जन्नी को ही धोखा..

लेकिन मां का हृदय तो मां का हृदय होता है..

जिसमें अथाह ममता का वास होता है..

मन की आंखों से ..

हां हां मन की आंखों से..

उन्होंने अपने पुत्र को निहारा..

बूढ़े हाथों के सहारे उसे बड़े कोमलता से पुचकारा..

और सहसा उनके दिमाग में ख्याल आया..

कि उसने कुछ खाया की नहीं खाया..

भले ही उन्होंने खुद भी सुबह से कुछ नहीं था खाया..

फिर बड़े लाड़ से उन्होंने उसे अपने बेजान से हाथों से खिलाया..

उसके मुख के स्पर्श से मानो एक नई जान आ गई हो उनमें..

शायद बचपन के दिन याद हो आए होंगे..

ऐसे ही छुट्टियों के दिन कब बीत गए पता ही नहीं चला..

बार बार साहब का..

हां हां साहब का..

फोन आने लगा..

कब आ रहे हो, यहां की कुछ खबर भी है भला..

पूछा उसने :-नहीं तो,पर क्यूं भला ?

आ जाओ, यहां पर सब बताते हैं..

ऐसा कहकर साहब फोन काटते हैं..

शीघ्र ही वह सारे सामान बांधता है..

मज़बूरी और जिम्मेदारी के कारण वह बंधा है..

क्यूंकि उसने किसी को वचन दिया है..

हां हां वचन दिया है..

और फिर, एकबार तोड़ने के लिए अपनी मां से वादा करता है..

कि आएगा फिर से वह इस स्वर्ग के रसपान करने..

लेकिन हाय! किस्मत भी कैसा खेल रचाती है..

इस बार फिर, उसे अपना वादा तोड़ना पड़ता है..

जब फिर से भारत मां को दिया वादा निभाने के खातिर..

अपनी मां को दिया वादा तोड़ना पड़ता है..

जब निष्प्राण वह वापस लौटता है..

पर उसी पल जैसे ही उसकी मां उसके निष्प्राण शरीर को महसूस करती है..

अकस्मात उसका टूटा वादा जुड़ जाता है..

हां हां उसका टूटा वादा जुड़ जाता है..

जब स्वर्ग में दोनों का भाव विभोर मिलन हो जाता है..

लेकिन इस बार सच में स्वर्ग..

हां हां सच में स्वर्ग..

वहां पर मिलन के पश्चात मां के हृदय से अचानक निकल पड़ता है..

तेरे जैसा वादा तोड़ने वाला सुत अगर समस्त देशवासियों को मिल जाए..

तो यह देश पूरे विश्व के देशों से हज़ारों वर्ष आगे पहुंच जाए।।



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