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अच्युतं केशवं

Abstract

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अच्युतं केशवं

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प्रकृति का शिशु

प्रकृति का शिशु

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प्रकृति का शिशु

मानव

भूल

नेह ममता वात्सल्य

प्रकृति का स्वामी बनने के

प्रयास में जुटा

भूल

अपनी सामर्थ्य की सीमा

और

प्रकृति माता की

क्षमा की मर्यादा को

देता

सर्वनाश को आमंत्रण

कब तक सहेगी

प्रकृति यह अनर्थ

और

जब टूटेगा उसका धैर्य

तो

कहां शरण पायेगा

ये मानव


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